बिटिया चन्दन गंध तू शीतल मंद बयार
हो नयन अनुबंध ज्यूँ पावन गंगा धार!
ये गौरैया भी चले बिटिया की सी चाल
देखे डाली फूल की देती झूला डाल!
पंख लगा के उड़ चली तू अपनी ससुराल
बिटिया मेला फिर सजा आ गलबहियां डाल!
बचपन अपना फिर जियूं देखूं तेरे खेल
पग पग बिटिया साथ मैं रख सपनों से मेल !
बेटी काँधे पे बिठा दे बाबुल विस्तार
उड़ना तू आकाश में अपने पंख पसार !